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किशनगढ़ रियासत (history)

 किशनगढ़ (अजमेर - राजस्थान) जोधपुर के मोटा राजा उदयसिंह राठौड़ के पुत्र राजा किशनसिंह राठौड़ ने 1611 ई. में किशनगढ़ रियासत की स्थापना की थी। औरं...

Friday, March 29, 2019

धूमधाम से मनाया जाएगा राजस्थान दिवस 30 march


राजस्थान दिवस हर साल 30 मार्च को मनाया जाता है। 30 मार्च, 1949 में जोधपुर, जयपुर, जैसलमेर और बीकानेर रियासतों का विलय होकर 'वृहत्तर राजस्थान संघ' बना था। यही राजस्थान की स्थापना का दिन माना जाता है।

राजस्थान दिवस : 30 मार्च



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धूमधाम से मनाया जाएगा राजस्थान दिवस, विविध आयोजनों में होगा राजस्थानी वैभव एवं संस्कृति का अनोखा दर्शन






ये है हमारा रंग रंगीला अजमेर, यहां दिखते है कला व संस्कृति के कई रंग






आज राजस्थान दिवस पर आप सबने मोकळी बधाई अर शुभकामनावां
राजस्थानी लोक कला और संस्कृति का संगम
रंग रंगीलो राजस्थान में त्योहारों की कोई कमी नहीं है और ना ही यहाँ रहने वाले लोगों का जोश कभी कम दिखाई पड़ता है।इस दिवस का मुख्य उद्देश्य राजस्थान की पारम्परिक संस्कृति को दुनिया के सामने लाना है। लोक कला और संस्कृति में तो वैसे भी राजस्थान की धरती बहुत धनी है।
आज के शुभ दिवस पर में वादा करता हु कि में एक राजस्थानी होने के नाते राजस्थान की ख्याति,राजस्थान कि पहचान और राजस्थान के इतिहास पे कभी आस नहीं आने दूंगा। मेरे मरुधर देश कि संस्कृति पर पाश्यात्य संस्कृति का ग्रहण नहीं लगने दूंगा।
सोने री धरती अठै, चांदी रो असमान।
रंग रंगीलो रस भरयो, ओ म्हारो राजस्थान।।















Tuesday, March 26, 2019

Shitla mata ki Pooja vidhan or kahani

आज है शीतला सप्तमी, ठंडी चीजों का भोग लगा कर ऐसे करें माता की पूजा
               माता शीतला को प्रसन्‍न करने के लिये लोग ठंडा भोजन खाते हैं। इस दिन लोग सुबह सुबह उठ कर ठंडे जल से स्‍नान कर के शीतला माता के मंदिर में देवी को जल चढ़ा कर पूजा पाठ करते हैं।

होली के सप्‍ताह के बाद यानि अष्टमी तिथि को शीतला सप्तमी मनाई जाती है। इस खास दिन को माता शीतला माता की पूजा अर्चना की जाती है। शीतला माता को मां दुर्गा और पार्वती जी का रूप माना जाता है। इन्‍हें हर रोग से छुटकारा दिलाने की शक्‍ति प्राप्‍त है। माना जाता है कि शीतला माता की पूजा करने एवं व्रत रखने से तमाम तरह की बीमारियां जैसे खसरा, फोड़ा, चकिन पॉक्‍स या नेत्र रोग आदि से रक्षा प्राप्‍त होती है।

आपको इनका वर्णन स्कंद पुराण में भी मिलेगा। माता शीतला को प्रसन्‍न करने के लिये लोग ठंडा भोजन खाते हैं। इस दिन लोग सुबह सुबह उठ कर ठंडे जल से स्‍नान कर के शीतला माता के मंदिर में देवी को जल चढ़ा कर पूजा पाठ करते हैं।

 व्रत रखने की विधि-

व्रत करने वाले को सुबह उठ कर स्‍नान करना चाहिये। फिर मंत्र बोलकर संकल्प लेना चाहिये।
मंत्र कुछ इस प्रकार है- मम गेहे शीतलारोगजनितोपद्रव प्रशमन पूर्वकायुरारोग्यैश्वर्याभिवृद्धियेशीतला सप्तमी अष्टमी व्रतं करिष्ये
इसके बाद पूरे विधि विधान से माता शीतला की पूजा करें।
फिर बासी यानि ठंडा खाना जो आपने एक रात पहले बनाया हो उसे माता को भोग लगाएं।
उसके बाद शीतला स्तोत्र का पाठ करें। उनकी कथा सुनें और जगराता करें।
इस दिन माता को श्रीफल अर्पित करें और पानी में भिगोई हुई चने की दाल चढ़ाएं। शीतला माता को ठंडा भोजन चढाना चाहिये जिसे एक दिन पहले रात में बनाकर रख लिया जाता है।