आज है शीतला सप्तमी, ठंडी चीजों का भोग लगा कर ऐसे करें माता की पूजा
माता शीतला को प्रसन्न करने के लिये लोग ठंडा भोजन खाते हैं। इस दिन लोग सुबह सुबह उठ कर ठंडे जल से स्नान कर के शीतला माता के मंदिर में देवी को जल चढ़ा कर पूजा पाठ करते हैं।
होली के सप्ताह के बाद यानि अष्टमी तिथि को शीतला सप्तमी मनाई जाती है। इस खास दिन को माता शीतला माता की पूजा अर्चना की जाती है। शीतला माता को मां दुर्गा और पार्वती जी का रूप माना जाता है। इन्हें हर रोग से छुटकारा दिलाने की शक्ति प्राप्त है। माना जाता है कि शीतला माता की पूजा करने एवं व्रत रखने से तमाम तरह की बीमारियां जैसे खसरा, फोड़ा, चकिन पॉक्स या नेत्र रोग आदि से रक्षा प्राप्त होती है।
आपको इनका वर्णन स्कंद पुराण में भी मिलेगा। माता शीतला को प्रसन्न करने के लिये लोग ठंडा भोजन खाते हैं। इस दिन लोग सुबह सुबह उठ कर ठंडे जल से स्नान कर के शीतला माता के मंदिर में देवी को जल चढ़ा कर पूजा पाठ करते हैं।
व्रत रखने की विधि-
व्रत करने वाले को सुबह उठ कर स्नान करना चाहिये। फिर मंत्र बोलकर संकल्प लेना चाहिये।
मंत्र कुछ इस प्रकार है- मम गेहे शीतलारोगजनितोपद्रव प्रशमन पूर्वकायुरारोग्यैश्वर्याभिवृद्धियेशीतला सप्तमी अष्टमी व्रतं करिष्ये
इसके बाद पूरे विधि विधान से माता शीतला की पूजा करें।
फिर बासी यानि ठंडा खाना जो आपने एक रात पहले बनाया हो उसे माता को भोग लगाएं।
उसके बाद शीतला स्तोत्र का पाठ करें। उनकी कथा सुनें और जगराता करें।
इस दिन माता को श्रीफल अर्पित करें और पानी में भिगोई हुई चने की दाल चढ़ाएं। शीतला माता को ठंडा भोजन चढाना चाहिये जिसे एक दिन पहले रात में बनाकर रख लिया जाता है।
माता शीतला को प्रसन्न करने के लिये लोग ठंडा भोजन खाते हैं। इस दिन लोग सुबह सुबह उठ कर ठंडे जल से स्नान कर के शीतला माता के मंदिर में देवी को जल चढ़ा कर पूजा पाठ करते हैं।
होली के सप्ताह के बाद यानि अष्टमी तिथि को शीतला सप्तमी मनाई जाती है। इस खास दिन को माता शीतला माता की पूजा अर्चना की जाती है। शीतला माता को मां दुर्गा और पार्वती जी का रूप माना जाता है। इन्हें हर रोग से छुटकारा दिलाने की शक्ति प्राप्त है। माना जाता है कि शीतला माता की पूजा करने एवं व्रत रखने से तमाम तरह की बीमारियां जैसे खसरा, फोड़ा, चकिन पॉक्स या नेत्र रोग आदि से रक्षा प्राप्त होती है।
आपको इनका वर्णन स्कंद पुराण में भी मिलेगा। माता शीतला को प्रसन्न करने के लिये लोग ठंडा भोजन खाते हैं। इस दिन लोग सुबह सुबह उठ कर ठंडे जल से स्नान कर के शीतला माता के मंदिर में देवी को जल चढ़ा कर पूजा पाठ करते हैं।
व्रत रखने की विधि-
व्रत करने वाले को सुबह उठ कर स्नान करना चाहिये। फिर मंत्र बोलकर संकल्प लेना चाहिये।
मंत्र कुछ इस प्रकार है- मम गेहे शीतलारोगजनितोपद्रव प्रशमन पूर्वकायुरारोग्यैश्वर्याभिवृद्धियेशीतला सप्तमी अष्टमी व्रतं करिष्ये
इसके बाद पूरे विधि विधान से माता शीतला की पूजा करें।
फिर बासी यानि ठंडा खाना जो आपने एक रात पहले बनाया हो उसे माता को भोग लगाएं।
उसके बाद शीतला स्तोत्र का पाठ करें। उनकी कथा सुनें और जगराता करें।
इस दिन माता को श्रीफल अर्पित करें और पानी में भिगोई हुई चने की दाल चढ़ाएं। शीतला माता को ठंडा भोजन चढाना चाहिये जिसे एक दिन पहले रात में बनाकर रख लिया जाता है।
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